बनी रहे बुज़ुर्गों के प्रति श्रध्दा और अनुराग;उनकी दुआओं से ही जागते हैं हमारे भाग.

मंगलवार, 3 जुलाई 2012

पिता का न होना,जैसे घर में घर का न होगा !


 



















पिता,
आपका न होना,
जैसे न होना मुख्य द्वार पर
साथिये का
न होना आँगन में
पुराने बरगद का.

न उगना माँ के माथे पर
गोल नारंगी सूरज का
न होना मधुर संगीत,
उनकी सतरंगी चूड़ियों का
आपका न होना,
जैसे न होना मटके में जल का.

मुँडेर पर पंछियों का
द्वार पर गैय्या का
घर के ओसरे में दीये का
गुल्लक में पैसों का
देवताओं के पास वरदान का
न होना.

आपका न होना,
जैसे सयानों में सयानेपन का न होना,
बच्चों में बचपन का न होना
अलमारी में सजी किताबों के पास
पाठक का न होना

आपका न होना,
जैसे पूरे घर में घर का न होना.

कवयित्रि:मीनाक्षी जिजीविषा.

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