पिता,
आपका न होना,
जैसे न होना मुख्य द्वार पर
साथिये का
न होना आँगन में
पुराने बरगद का.
न उगना माँ के माथे पर
गोल नारंगी सूरज का
न होना मधुर संगीत,
उनकी सतरंगी चूड़ियों का
आपका न होना,
जैसे न होना मटके में जल का.
मुँडेर पर पंछियों का
द्वार पर गैय्या का
घर के ओसरे में दीये का
गुल्लक में पैसों का
देवताओं के पास वरदान का
न होना.
आपका न होना,
जैसे सयानों में सयानेपन का न होना,
बच्चों में बचपन का न होना
अलमारी में सजी किताबों के पास
पाठक का न होना
आपका न होना,
जैसे पूरे घर में घर का न होना.
कवयित्रि:मीनाक्षी जिजीविषा.
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें